लौट आई है आज शाम तन्हाइयों की
उन अनगिन्नत शामों की तरह
छोड मुझे अकेले, फ़िर जो चली
उन बीती रहों पर येह यादें मेरी
आज फ़िर एक बार...
लौट ना आना अब तुम, अब में
वहीं, वही जी लेने दो तुम
एक बार फ़िर खुश हूँ मैं
वापस ना मुड आना तुम
आज फ़िर एक बार...
जो खोया था मैंने कभी
पा लेने दो अब तो मुझको
समेटने दो मुझको वो बिखरे मोती
ना दो टूटने मेरे सपनॊ की माला तुम
आज फ़िर एक बार...
ना छीनो, अब तो छू लेने दो
जो देखा भी न था कभी
ना पाकर भी जो पाया है मैंने
मर ना जाऊँ मैं उसको खोकर
आज फ़िर एक बार...
1 comment:
abhi saari hindi dikhayi de rahi hai ...
need to read the poems now ..
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